इस बार फरवरी में ही शुरू हो जाएगी 10 वीं, 12 वीं की परीक्षा

  • उत्तम मालवीय (9425003881)
    बैतूल।
    माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश ने इस बार कक्षा 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा समय से पहले कराने का निर्णय लिया है। अभी तक यह परीक्षा 1 मार्च से शुरू होती थीं, लेकिन इस बार यह परीक्षा फरवरी में शुरू हो जाएंगी। मार्च के आखिर में कोरोना की तीसरी लहर के आ सकने की संभावना को देखते हुए यह निर्णय लिए जाने की बात कही जा रही है।
    बीते दो साल से प्रदेश में 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा आयोजित नहीं हो पा रही है। पूर्व में दोनों बार कोरोना की लहर मार्च के अंत में ही आई है। इस बार भी ऐसा हुआ तो परीक्षा होना मुश्किल हो सकता है। अभी कोरोना के केस ज्यादा नहीं हैं, लेकिन अब भी नए संक्रमित मिल रहे हैं। इस बार भी मार्च में ही केस बढ़ने की आशंका है। इसके साथ ही CBSE की प्रायोगिक परीक्षा फरवरी में हो जाती हैं, जबकि मार्च में लिखित परीक्षा होती है। इसी कारण मंडल ने इस बार परीक्षा को फरवरी में शुरू करने का निर्णय लिया है। यह 12 फरवरी से प्रारंभ होकर 31 मार्च तक संपन्न हो जाएंगी। 10वीं और 12वीं क्लास की परीक्षा 12 फरवरी से शुरू होकर 20 मार्च तक संपन्न होंगी। इसके साथ ही 12 फरवरी से 31 मार्च तक प्रायोगिक परीक्षा आयोजित की जाएंगी। मंडल अब तक 1 मार्च से दोनों क्लास की परीक्षा प्रारंभ करता था। यह अप्रैल तक चलती थीं। फरवरी में ही पेपर कराने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि अगर कोरोना आता भी है, तो तब तक परीक्षा हो चुकी होंगी। ऐसे में फॉर्मूला रिजल्ट बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
    40 फीसद प्रश्न रहेंगे ऑब्जेक्टिव टाइप
    स्कूल देरी से खुलने के कारण अब तक कोर्स पूरा नहीं हो सका है। परीक्षा जल्दी कराने से छात्रों के पास तैयारी करने के लिए कम समय मिलेगा। ऐसे में छात्रों को अभी से पढ़ाई पर ध्यान देना होगा। इस साल से पेपर में 40% प्रश्न ऑब्जेक्टिव रहेंगे। इससे छात्रों को पास होने में आसानी होगी।
    दो साल से फार्मूले के आधार पर रिजल्ट
    दो साल से फॉर्मूला रिजल्ट के आधार पर ही छात्रों को पास किया जा रहा है। इससे सभी बच्चे पास हो जा रहे हैं। रिजल्ट से नाखुश छात्रों को विशेष परीक्षा में शामिल होने का विकल्प भी दिया गया था। पहले शर्त रखी गई थी कि विशेष परीक्षा देने वाले छात्रों का रिजल्ट इसी परीक्षा के रिजल्ट के माना जाएगा। ऐसे में अगर कोई फेल होता है, तो उसे फेल ही माना जाएगा। बाद में मंडल ने अपने इस निर्णय को बदलते हुए दोनों परीक्षाओं में से बेहतर रिजल्ट को ही मान्य करने का निर्णय लिया। ऐसे में सभी छात्र पास गए।

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