सार्थक दीवाली: जिनका कोई नहीं रखता ध्यान, उनका किया सम्मान, हुए भाव विभोर

  • उत्तम मालवीय (9425003881)
    बैतूल।
    मानसरोवर स्कूल की ओर से अभिनव कार्यक्रम जिला चिकित्सालय में आयोजित किया गया। इसमें उन लोगों का सम्मान किया गया जिनका शायद ही कोई सम्मान के मामले में ध्यान रखता हो। कार्यक्रम में जिला चिकित्सालय को स्वच्छ रखने वाले स्वच्छता प्रहरियों व कोरोना की बॉडी शमशान तक पहुंचाने वाले सच्चे कोरोना वारियर्स का सम्मान किया गया।

    कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. विनय सिंह चौहान, समाजसेवी पंकज साबले, वरिष्ठ पत्रकार इरशाद हिंदुस्तानी थे। आयोजन में पंजाबराव गायकवाड़, शैलेन्द्र बिहारिया, मनोहर मालवी, चंचल पांसे, काल्यासिंग कासदेकर, प्रितमसिंग मरकाम सहित सभी अतिथियों ने तिलक लगाकर, फूलमाला से, बुके देकर व साड़ियां भेंट कर 21 महिला स्वच्छता प्रहरियों का सम्मान किया। इस अवसर पर कोरोना से पीड़ित मृतकों को शमशान तक पहुंचाने वाले प्रकाश करोसिया, राजेश सारवान, अलकेश नागले, दलप सिंग पार्टी, विक्की ढोलेकर का सम्मान कर उन्हें पुरस्कृत किया गया। प्रकाश करोसिया व विक्की ढोलेकर ने बताया कि एक-एक दिन में हमने 20 से 30 बॉडी भी शमशान तक पहुंचाई थी। जब कोई इनको हाथ भी नहीं लगाता था, तब हमने दिन रात इस कार्य को किया है। खाना भी खाने का समय तक नहीं मिल पाता था। एक घटना में तो पति-पत्नी दोनों की कोरोना से मृत्यु हो गई थी, एक छोटा सा उनका बच्चा भर बच पाया था। ऐसे मार्मिक दृश्य भी हमने देखे हैं।

    किसी के दर्द ले सके तो ले लो उधार: डॉ. चौहान
    इस अवसर पर डॉक्टर विनय सिंह चौहान ने कहा कि किसी का दर्द ले सको तो लो उधार, जीना इसी का नाम है। सच्ची दीवाली भी यही है कि हम समाज के ऐसे लोगों के साथ दीवाली मनाए, जिनकी चिंता किसी को नहीं है। हमें ऐसी ही सार्थक दीवाली मनानी चाहिए। इस अवसर पर पंकज साबले ने स्वच्छता प्रहरियों को रियल हीरो बताया और हरसंभव मदद हमेशा करने की बात कही।

    स्वच्छता प्रहरी नाम देना प्रशंसनीय: इरशाद हिंदुस्तानी
    वरिष्ठ पत्रकार इरशाद हिंदुस्तानी ने कहा कि सफाई कर्मचारियों को स्वच्छता प्रहरी का नाम देना प्रशंसनीय है। दीपावली में निचले तबके की भी चिंता करके उनके साथ दीवाली मनाना सार्थक पहल है। कार्यक्रम में 21 महिलाओं व 5 पुरुषों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पंजाबराव गायकवाड़ व शैलेन्द्र बिहारिया ने कहा कि खुशियों को बांटना व दूसरों का दर्द बांटना ही सच्ची दीवाली है। सम्मान पाकर सभी की आखें भर आई और सभी भाव विभोर हो गए।

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