• नवील वर्मा, शाहपुर
देवी-देवताओं में हमारी गहरी आस्था है। विभिन्न पर्वों पर यह आस्था चरम पर होती है। इसी दौरान कई चमत्कार भी देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक चमत्कार रविवार को रामनवमी पर्व पर शाहपुर में देखने को मिला। बिना किसी मैजिक ट्रिक के माता के एक भक्त (जिन्हें काली जी आती हैं) ने अपनी जीभ के आर-पार त्रिशूल कर लिया।
यह त्रिशूल पूरे विसर्जन जुलूस के दौरान उनकी जीभ में भी धंसा रहा। इसके बावजूद उन्हें दर्द का एहसास तक नहीं हुआ। बल्कि सामान्य रूप से वे देवी स्वरूप में चलते रहे और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते रहे।
शाहपुर में रविवार को पवित्र स्थल देवड़ा देव मंदिर से शक्ति की भक्ति में निकले जवारा विसर्जन जूलूस में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। नवरात्र में शक्ति की उपासना पूर्ण होने पर विभिन्न देवी मंदिरों एवं घरों से जवारा शोभायात्राएं निकलीं।
पवित्र स्थल देवड़ादेव मंदिर से जवारा विसर्जन जुलूस निकला गया। जुलूस में बरबटपुर निवासी शुभम वंशकार भी शामिल हुए। बताते हैं कि उन्हें बीते 10-12 सालों से मां काली का विकराल रूप आता है। विसर्जन जुलूस के दौरान भी उनका यही रूप भक्तों को देखने को मिला।
लोग उस समय बिलकुल दंग रह गए जब उन्होंने एक मोटा सा त्रिशूल अपनी जीभ के आरपार कर लिया। इस दौरान उन्हें जरा भी दर्द का एहसास तक नहीं हुआ। इसी हालत में वे कभी मुस्कुराते हुए तो कभी रौद्र स्वरूप दिखाते हुए साथ चलते रहे और हाथ में तलवार लिए सभी को आशीर्वाद देते रहे।
इधर पूरे शाहपुर नगर में भ्रमण कर खेड़ापति मंदिर से होते हुए माचना नदी के घाट पर गाजे-बाजे के साथ जुलूस पहुंचा। भक्ति भाव के साथ मातृशक्ति सिर पर जवारा कलश रखकर जुलूस में शामिल हुई। जुलूस के दौरान देवी के जयकारों से भक्ति का माहौल बन गया।
राहगीरों ने भक्ति का आकर्षक दृश्य देखा और भगवती को नमन किया। ढोल ढमाके की धुन पर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक भक्ति में झूम उठे। जवारा विसर्जन जुलूस देखने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचे थे। माचना घाट पर पूजन-अर्चन किया गया और फिर जवारा विसर्जन किया गया।