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सामान्य लोगों के लिए दीवाली की धूम महज एक दिनों के लिए रहती है, लेकिन असली त्यौहार तो जिले के आदिवासी ग्रामों में मनाया जाता है। इन ग्रामों में दीवाली की धूम एक महीने तक रहती है। उनकी दीवाली की एक खास बात यह होती है कि यह पर्व उनके लिए महज एक औपचारिकता नहीं होता बल्कि वे दिल से दीवाली का यह त्यौहार मनाते हैं। यही कारण है कि उनकी दीवाली में परंपरा के साथ ही उत्साह, खुशियों और उल्लास की दमक भी नजर आती है। ऐसा ही कुछ नजारा देवपुर कोटमी में मनाई गई दीवाली में भी नजर आया।
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चिचोली क्षेत्र के ग्राम देवपुर कोटमी में इस वर्ष भी ग्यारस में मनाई जाने वाली दीवाली धूमधाम से मनाई गई। रात्रि में डंडार नाच-गाना का कार्यक्रम किया गया और आज सुबह धूमधाम से बैलों का जुलूस निकाला गया। लंगड़ी डांस और आदिवासी गीत गाते हुए जुलूस निकाला गया। ग्रामीण मंशाराम इवने, मनासिंग इवने, शिवलाल इवने, जिराती इवने, बिराज इवने, कमलेश इवने, मूरत इवने के द्वारा बैलों का जुलूस सम्पन्न किया गया। रात्रि डंडार प्रतियोगिता में दिसन लाल इवने, कमलेश इवने, मोहन इवने, सुनील इवने, उमेश इवने, सैलास, फूलचंद उइके, हरिकचंद उइके, दिनेश इवने, प्रकाश इवने, शिवपाल इवने, बिराज इवने, ललित इवने, मंजेश इवने, मितेश इवने, राकेश उइके, बस्तीराम इवने, किसन इवने, बाराती इवने, बिहारसिंग इवने, शिवदिन पटेल मौजूद थे।
